Nirjala Ekadashi 2025: ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली निर्जला एकादशी को काफी शुभ माना जाता है। जानें इसकी सही तिथि से लेकर हर एक जानकारी।
हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार
हिंदू धर्म में हर एक एकादशी का अलग-अलग महत्व है। पंचांग के अनुसार, हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी पड़ती है और हर एक का अपना महत्व है। ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का जाता है। इस दिन व्रत रखने मात्र से अन्य एकादशी के बराबर फल की प्राप्ति होती है। इस एकादशी को सबसे कठोर एकादशी में से एक माना जाता है, क्योंकि इस व्रत में जल तक पीने की मनाही होती है।

निर्जला एकादशी व्रत की सही तिथि
इस साल निर्जला एकादशी की तिथि को लेकर थोड़ा सा असमंजस की स्थिति बनी हुई है। बता दें कि निर्जला एकादशी की तिथि 6 जून 2025 को सुबह 2:15 बजे से शुरू होकर 7 जून 2025 को सुबह 4:47 बजे समाप्त होगी.
निर्जला एकादशी व्रत पर जप का सिद्ध मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय
निर्जला एकादशी व्रत के नियम
- निर्जला एकादशी वाले दिन सूर्य उदय से पहले उठना चाहिए।
- TOOTH BRUSH का उपयोग नही करना चाहिए।
- शरीर पर नहाते समय साबुन नही लगाना चाहिए। नहाते समय जल मे गंगा जल मिलाकर नहाना चाहिए और शरीर को मलना नही चाहिए ।
निर्जला एकादशी व्रत पर विशेष सावधानियां
- निर्जला एकादशी पर झूठ ना बोले और क्रोध ना करें ।
- ब्रहमचार्य का पालन करना चाहिए ।
- रात को पृथ्वी/जमीन पर सोए ।
- निर्जला एकादशी पर दिया गया मंत्र जप करें।
निर्जला एकादशी व्रत के लाभ
मान्यताओं के अनुसार अगर कोई कितना भी पापी है वह निर्जला एकादशी का व्रत रखता है तो उसे अंत समय मे भगवान के पार्षद लेने आते है तथा स्वर्ग की प्राप्ति होती है।
निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, क्योंकि इस व्रत को सबसे पहले पांडव पुत्र भीम ने किया था।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। Popularalert.com यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का प्रमाणित नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें।